મંગળવાર, 23 એપ્રિલ, 2013

मासूमियत का खून

दिल्ही मे मासूम बच्ची के साथ हुए दुष्कृत्य की पीड़ा उस बेटी की जुबान से...
में मेरे पापा की प्यारी बेटी
में मेरी माँ की दुलारी बेटी
भैया के हाथ की रक्षा डोरी
दादा दादी के दिल की लाडली बेटी

मुजको माँ ने दूध पिलाया
पापा ने खूब लाड लड़ाया
जब जब भैया ने रुलाया
चोकलेट देके मुझे मनाया

में सजा सजाया ख़्वाब माँ का
में अनोखा रुआब पापा का
प्यारा खिलौना में भैया का
में तो हु वरदान खुदा का

इंसानियत भी शर्माती है
हेवानियत  भी घबराती है
मार डालो वासना के हेवानो को
जो मासूमियत का खून करते है

मेरे आंसू को कब पोछोगे ?
कब अपनी नींद से जागोगे ?
कब तुम मेरा बदला लोगे ?
कब मेरा इन्साफ करोगे ?

कब तक में अत्याचार सहु ?
कब तक में घुट घुट के रहू ?
मेरा दर्द में किससे कहु ?
पीना  पड़ेगा कब तक लहू ?

मेरे आंसू का हिसाब न होगा,
चमन तुम्हारा आबाद न होगा,
'आनंद' दर्द उसका क्या बताए ?
सारा ज़हा उसकी आह से बरबाद होगा ।
                                                  - वाला प्रतिक