સોમવાર, 13 મે, 2013

लोग

भीडमे कही खो जाते है लोग,
दुर खुदसे ही हो जाते है लोग,
मैं करता नहीं कुछ भी यारो
फिर क्यों मुजको धो जाते है लोग ?

कैसे कैसे यहाँ होते है लोग,
ऐसे वैसे भी यहाँ होते है लोग,
पान तो पनवारी ही देता है यारो,
फिर मुजको क्यों चुना लगाते है लोग ?

मैं हँसता हु तो हँसते है लोग,
मैं रोता हु तो सताते है लोग,
जोली मेरी खाली देखकर यारो,
खुदको ही भिखारी बताते है लोग.

कभी अपने बनके आते है लोग,
कभी बेगाने बन चले जाते है लोग,
ऐतबार मैं न करू किसीका यारो,
ये बात हरबार सुनाते है लोग.

भुखेको भूखा मारते है लोग,
पथ्थरो पे दुध डालते है लोग,
'आनंद' क्या कहे और अब यारो ?
उसके दर पर उसको डाँटते है लोग.