સોમવાર, 13 મે, 2013

पथ्थरो के सिनेपे फुल उगा शकता हु

पथ्थरो के सिनेपे फुल उगा शकता हु,
आंधियो में प्यारका दीप जला शकता हु,
अगर तुम लौट के आनेका वादा करते हो,
मैं सारी जिंदगी यहाँ इंतजार कर शकता हु.

हमारे ईश्क के इल्मसे कैसे बचोगे ?
मैं प्यारके सारे जंतर मंतर जानता हु,
हां ज़माना नफरत की आगमे जलता है,
पर मैं प्रेम की गंगा बहा शकता हु.

सुना है तु धोके से हर बाज़ी जीत लेती है,
चल आज मैं जिंदगी दाव में रखता हु,
तुजे शेर गज़ल सुनने का शौक है बहोत,
इसी लिये मैं खुनसे नगमे लिखता रहता हु.

हर सांसमे तेरे नाम की आहट होती है,
इसी वजहसे मैं सांसे लेता रेहता हु,
बंदगी भी 'आनंद' करता है इस अंदाज से,
खुदा की जगह लबो से तेरा ही नाम लेता हु.