સોમવાર, 13 મે, 2013

आज मुजको मिल गई, सब सुखो की खान

आज मुजको मिल गई, सब सुखो की खान,
मैंने बना लिया आजसे अल्लाह तुजे दीवान.
तेरे दर पे आते है हिंदू और मुसलमान,
कोई तुजे अल्लाह कहे कोई कहे भगवान.

दर्द में रोते हुए मुजे गाली दी,
खुशियों में मुजको फिर कवाली दी,
कई बेतालोने मुजको फिर ताली दी,
भूखे को भूख और मुजे दिवाली दी.

मैंने अपनों से ज़ख्म खाये है,
बेगानों से फिर मरहम पाये है,
जिंदगी को कुछ इस कदर जी ली मैंने,
मेरी मौत पे दुश्मन भी रोये है.

तु आँचल जो लेहरा दे,
फिर बादल जो बरसा दे,
दिलमे फिर ठंडक होगी,
दो घुंट तु प्यार के पीला दे.

मेरे मालिक मैं दुआ करता हु,
उनकी आँख में आंसु न आये,
जिंदगी 'आनंद' की खत्म हो जाये,
उनकी मौत मुजको मिल जाये.