સોમવાર, 13 મે, 2013

आग और पानीमें भी जी शकता हु मैं

आग और पानीमें भी जी शकता हु मैं,
दर्द के सातो सागर को पी शकता हु मैं

हां हजारों दुश्मनों की फौज सामने है,
पर तेरा साथ पाकर हर जंग जीत शकता हु मैं

दिल बहोत रोता है तुम्हारी याद आने से,
पर दिल के ज़ख्म छुपाके हँस शकता हु मैं

कातिल का हर ज़ुल्म बड़े शौक से सेह्ता हु मैं,
वरना अपनी शमशेर भी उठा शकता हु मैं

तुफानो के सिनेपे सर रखके सोता हु मैं
दुश्मनों के ज़ख्मो पर चुपके से रोता हु मैं

'आनंद' कोई हमराज़ सच्चा नहीं मिलता,
जिसे दिल के ज़ख्मो के राज़ बता शकता हु मैं