સોમવાર, 13 મે, 2013

वो प्यार करती है पर बताती नहीं है

वो प्यार करती है पर बताती नहीं है,
वो मुजपे मरती है पर जताती नहीं है,
मेरे हर दर्द मे हमदर्द है वो लेकिन,
फिरभी ईश्क का मतलब समजती नहीं है.

तलवार और बन्दुक से डरती नही है,
जुल्मो के सामने भी ज़ुकती नहीं है,
कभी फुलोसी नाजुक कभी फौलाद जैसी,
मोहबत बारूद से भी मिटती नहीं है.

दुनिया प्यार का मतलब जानती नहीं है,
दिल के गेहरे रिश्तों को ये मानती नहीं है,
इसके लिये मोहबत वो गुनाह है यारो,
जिसे ये कभी भी माफ करती नहीं है.

वो पगली अपने दर पे मेरा इन्तेज़ार करती है,
पर अपने दर से कभी आगे निकलती नहीं है,
उसके पैरोमे रिश्तों का बंधन है ऐसा
जिसे वो चाहके भी तोड़ सकती नहीं है.

आंसुओ को पीनेसे भी नशा होता है,
ये राज़ की बात वो कहती नहीं है,
जब से पी है उसके ईश्क की शराब
लाख कोशिश करने पर भी उतरती नहीं है.

तेरा नाम लेता हु मैं तस्बिके पारो मे,
पर मेरा खुदा मुझसे नाराज नहीं है,
'आनंद' उसने ही मोहबत को इजाद किया है,
उसकी इबादत मोहबत से जुदा नहीं है.