શુક્રવાર, 24 મે, 2013

वक्त बदलता रेहता है

खुशियाँ और गम का
चक्कर चलता रेहता है,
वक्त बदलता रेहता है.

घाव खुद ही देकर के
फिर मरहम यही लगाता है,
वक्त बदलता रेहता है.

कभी अपनों को गैर और
गैर को अपना बनाता है,
वक्त बदलता रेहता है.

बनकर हमारा दिलबर हमराज़
फिर आखिरमे दिल तोड़ देता है,
वक्त बदलता रेहता है.

कभी शमशेर बनके वार करे
तो कभी ये ढाल बनता है,
वक्त बदलता रेहता है.

बनाता है यही हमको यहाँ
आखिरमे तोड़ देता है,
वक्त बदलता रेहता है.

बचपन, जवानी बुढापे में
ये निशान छोड़ के जाता है,
वक्त बदलता रेहता है.

हरबार युही बेदर्दी से
ये दर्द बदलता रेहता है,
वक्त बदलता रेहता है.

ईश्क मोहबत के नाम पे
ये घाव बदलता रेहता है,
वक्त बदलता रेहता है.

सुबह शाम और रातदिन
अंदाज बदलता रेहता है,
वक्त बदलता रेहता है.

'आनंद' चल तु इसके साथ
सफर को जिंदगी बनाता है,
वक्त बदलता रेहता है.